किसी भी कार्य को कुशलता पूर्वक करने का ज्ञान ,क्षमता तथा योग्यता को स्किल या कौशलता कहते हैं। किसी क्षेत्र विशेष में पारंगत होना ही स्किल्ड कहलाता है। किसी भी व्यक्ति की किसी कार्य क्षेत्र में हुनर,निपुणता और दक्षता को स्किल या कौशल कहते हैं।
स्किल, किसी व्यक्ति की शिक्षित होने से नही देखी जाती अर्थात स्किल्ड होने के लिए शिक्षा की आवश्यता हो ऐसा जरूरी नही है। एक अशिक्षित व्यक्ति भी स्किल्ड हो सकता है जैसे एक गैराज में काम करने वाला व्यक्ति अशिक्षित होकर भी गाड़ी मोटर के सुधार कार्य मे पारंगत होता है। उसमें ये हुनर किसी पढ़ाई से नही बल्कि काम करते करते अनुभव से आता है।।
इस प्रकार कह सकते हैं कि स्किल, किताबी शिक्षा पर निर्भर नही होती। साधारण तय जब स्किल की बात की जाती है तो ये सोचा जाता है कि स्किल या पारंगत होने से तात्पर्य उस कार्य क्षेत्र में की गई पढ़ाई अथवा शिक्षा है परंतु ऐसा नही है अगर किसी व्यक्ति ने इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में पढ़ाई की है परंतु उसे प्रायोगिक कार्य करते नही बनता तो वह व्यक्ति स्किल्ड नही कहा जा सकता।
इसी प्रकार मात्र तकनीकी शिक्षा या तकनीकी कार्य का हुनर ही स्किल्ड नही कहलाता ,स्किल से तात्पर्य किसी कार्य को बखूबी करने की कला और क्षमता से होता है। उदाहरण के लिए एक कपड़ा व्यापारी भी जब किसी ग्राहक को अपने प्रोडक्ट्स लेने के लिए राजी कर सकता है तो ये कहा जा सकता है उस व्यक्ति में मार्केटिंग तथा ग्राहकों को आकर्षित करने की कला,निपुणता या स्किल है।। अर्थात वह व्यक्ति मार्केटिंग में पारंगत है।।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि स्किल, किसी व्यक्ति द्वारा किसी कार्य को सुव्यवस्थित तरीके से करने की कला है जो कि किसी पढ़ाई य शिक्षा पर निर्भर नही होती बल्कि कार्य करने पर निर्भर करती है और ये अभ्यास करने से ही आती है
कृष्णा श्रीवास्तव
स्किल, किसी व्यक्ति की शिक्षित होने से नही देखी जाती अर्थात स्किल्ड होने के लिए शिक्षा की आवश्यता हो ऐसा जरूरी नही है। एक अशिक्षित व्यक्ति भी स्किल्ड हो सकता है जैसे एक गैराज में काम करने वाला व्यक्ति अशिक्षित होकर भी गाड़ी मोटर के सुधार कार्य मे पारंगत होता है। उसमें ये हुनर किसी पढ़ाई से नही बल्कि काम करते करते अनुभव से आता है।।
इस प्रकार कह सकते हैं कि स्किल, किताबी शिक्षा पर निर्भर नही होती। साधारण तय जब स्किल की बात की जाती है तो ये सोचा जाता है कि स्किल या पारंगत होने से तात्पर्य उस कार्य क्षेत्र में की गई पढ़ाई अथवा शिक्षा है परंतु ऐसा नही है अगर किसी व्यक्ति ने इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में पढ़ाई की है परंतु उसे प्रायोगिक कार्य करते नही बनता तो वह व्यक्ति स्किल्ड नही कहा जा सकता।
इसी प्रकार मात्र तकनीकी शिक्षा या तकनीकी कार्य का हुनर ही स्किल्ड नही कहलाता ,स्किल से तात्पर्य किसी कार्य को बखूबी करने की कला और क्षमता से होता है। उदाहरण के लिए एक कपड़ा व्यापारी भी जब किसी ग्राहक को अपने प्रोडक्ट्स लेने के लिए राजी कर सकता है तो ये कहा जा सकता है उस व्यक्ति में मार्केटिंग तथा ग्राहकों को आकर्षित करने की कला,निपुणता या स्किल है।। अर्थात वह व्यक्ति मार्केटिंग में पारंगत है।।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि स्किल, किसी व्यक्ति द्वारा किसी कार्य को सुव्यवस्थित तरीके से करने की कला है जो कि किसी पढ़ाई य शिक्षा पर निर्भर नही होती बल्कि कार्य करने पर निर्भर करती है और ये अभ्यास करने से ही आती है
कृष्णा श्रीवास्तव