कहते हैं कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है मतलब अगर उम्मीदें न हो तो जीना ही संभव नही है क्योंकि हम जिंदा ही उम्मीदों के सहारे रहते हैं, जैसे किसी को कुछ करने की उम्मीद तो किसी को कुछ हासिल करने की,किसी को कुछ देखने की तो किसी को कुछ दिखाने की । लेकिन ये भी कहा जाता है कि उम्मीदें ही तक़लीफ़,दर्द और दुख देती हैं । तो अब सवाल ये है कि क्या उम्मीदें नही करना चाहिए य क्या उम्मीदें वाकई दर्द की वजह हैं?
अगर गौर किया जाए तो आप समझ पाएंगे उम्मीदें दर्द नही देती , बल्कि उम्मीद से ज्यादा की गई उम्मीदें ही दर्द,तक़लीफ़ और उदासी देती हैं। जैसे कि अगर हम किसी इंसान से उम्मीद करें कि ये हमेशा हमारे साथ रहेगा और अगर वो छोड़ जाए तो हमें तक़लीफ़ होती है लेकिन अगर हम ये सोचे कि ये इंसान आज नही तो कल दूर हो जाएगा लेकिन जितने दिन साथ रहा ये बहुत बड़ी बात है तो अगर वो छोड़कर दूर हुआ फिर भी हमें उतना दुख नही होगा।।
अगर गौर किया जाए तो आप समझ पाएंगे उम्मीदें दर्द नही देती , बल्कि उम्मीद से ज्यादा की गई उम्मीदें ही दर्द,तक़लीफ़ और उदासी देती हैं। जैसे कि अगर हम किसी इंसान से उम्मीद करें कि ये हमेशा हमारे साथ रहेगा और अगर वो छोड़ जाए तो हमें तक़लीफ़ होती है लेकिन अगर हम ये सोचे कि ये इंसान आज नही तो कल दूर हो जाएगा लेकिन जितने दिन साथ रहा ये बहुत बड़ी बात है तो अगर वो छोड़कर दूर हुआ फिर भी हमें उतना दुख नही होगा।।
उम्मीदें
उम्मीद कुछ पाने की हो तो नीची होना चाहिए, ताकि ज्यादा मिलने पर खुशी बढ़ जाए। क्योकि कुछ पाने की ज्यादा बड़ी उम्मीद रहने पर अगर वो हासिल न हो तो दुख होता है जैसे 70 नम्बर की उम्मीद करो और 60 मिल जाये तो उदास होजाते हैं और 60नम्बर मिलने की खुशी भी खत्म होजाती है लेकिन अगर 35 नम्बर की उम्मीद रखने वाले को 40मिल जाये तो उसे 5 नंबर की ज्यादा खुशी होती है।
उम्मीद कुछ पाने की हो तो नीची होना चाहिए, ताकि ज्यादा मिलने पर खुशी बढ़ जाए। क्योकि कुछ पाने की ज्यादा बड़ी उम्मीद रहने पर अगर वो हासिल न हो तो दुख होता है जैसे 70 नम्बर की उम्मीद करो और 60 मिल जाये तो उदास होजाते हैं और 60नम्बर मिलने की खुशी भी खत्म होजाती है लेकिन अगर 35 नम्बर की उम्मीद रखने वाले को 40मिल जाये तो उसे 5 नंबर की ज्यादा खुशी होती है।
उम्मीद कुछ दूर होने य खर्च की हो तो ऊंची होना चाहिए। ताकि खर्च य नुकसान कम होने पर बचत की खुशी हो।। जैसे 50 हजार रुपये के खर्च की उम्मीद करने पर अगर 30 हजार रुपया ही लगे तो 20 हजार रुपये बचने की खुशी होती है लेकिन अगर 30 हजार की उम्मीद लगाए और खर्च ज्यादा हो तो बहुत बुरा लगता है।।
इसलिए कुछ पाने की ज्यादा बड़ी उम्मीद लगाने से अच्छा है कम उम्मीद करिए ताकि ज्यादा मिलने पर आपकी खुशी भी बढ़ जाये।
इसलिए कुछ पाने की ज्यादा बड़ी उम्मीद लगाने से अच्छा है कम उम्मीद करिए ताकि ज्यादा मिलने पर आपकी खुशी भी बढ़ जाये।
इसी तरह कुछ खोने की य दूर होने की उम्मीद ज्यादा करिए ताकि जब कम से कम खोए य कम नुकसान हो तो हमें उदासी में भी खुशी मिले।।